यदतप्तं प्रणमति न तत् सन्तापयन्त्यपि।
यश्च स्वयं नतं दारुं न तत् सत्रमयन्त्यपि ॥
Vidur niti with hindi meaning
जो धातु बिना गरम किए मुड़ जाती है, उन्हें आग में तपने का कष्ट नहीं उठाना पड़ता। जो लकड़ी पहले से झुकी होती है, उसे कोई नहीं झुकाता ।
यदतप्तं प्रणमति न तत् सन्तापयन्त्यपि।
यश्च स्वयं नतं दारुं न तत् सत्रमयन्त्यपि ॥
जो धातु बिना गरम किए मुड़ जाती है, उन्हें आग में तपने का कष्ट नहीं उठाना पड़ता। जो लकड़ी पहले से झुकी होती है, उसे कोई नहीं झुकाता ।