यस्मात् त्रस्यन्ति भूतानि मृगव्याधान्मृगा इव।
सागरान्तामपि महीं लब्ध्वा स परिहीयते ॥
Vidur niti with hindi meaning
जैसे शिकारी से हिरण भयभीत रहते हैं, उसी प्रकार जिस राजा से उसकी प्रजा भयभीत रहती है, फिर चाहे वह पूरी पृथ्वी का ही स्वामी क्यों न हो, प्रजा उसका परित्याग कर देती है।