यादृशैः सत्रिविशते यादृशांश्चोपसेवते।
यादृगिच्छेच्च भवितुं तादृग् भवति पूरुषः ॥
Vidur niti with hindi meaning
अपनी बुराई सुनकर भी जो स्वयं बुराई न करें, उसे क्षमा कर दें। इस प्रकार उसे उसका पुण्य प्राप्त होता है और बुराई करनेवाला अपने कर्मों से स्वयं ही नष्ट हो जाता है।