संस्कृत सुभाषितानि

एते सत्पुरुषा परार्थघटकाःस्वार्थान् परित्यज्य ये
सामान्यास्तु परार्थमुद्यमभृतः स्वार्थाविरोधेन ये ।
तेSमी मानुष राक्षसः परहितं स्वार्थाय निघ्नन्ति ये
ये तु घ्नन्ति निरर्थकं परहितं ते के न जानीमहे ॥

भर्तृहरि (नीति शतक )

Sanskrit Subhashit with hindi meaning

वे ही व्यक्ति सज्जन और महान कहलाते हैं जो अन्य लोगों की सहायता करने के लिये अपने स्वार्थ का भी परित्याग कर देते हैं । ये सामान्यजन ही होते हैं परन्तु जनहित के कार्य में अपने हितों की परवाह न कर भी सदैव संलग्न रहते हैं । इस के विपरीत ऐसे भी राक्षसी प्रवृत्ति के मनुष्य होते हैं जो अपने स्वार्थ के लिये अन्य लोगों के हितों को नष्ट कर देते हैं । ये दुष्ट व्यक्ति बिना किसी कारण के ऐसा क्यों करते हैं यह मैं नहीं जानता हूं ।

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