संस्कृत सुभाषितानि

संतप्तायसि संस्थितस्य पयसो नामापि न श्रूयते
मुक्ताकारस्त या तदेव नलिनीपत्रस्थितं राजते ।
मध्ये सागरशुक्तिमध्य पतितं तन्मौक्तिकं जायते
प्रायेणाधम मध्यमोत्तमगुणा: संसर्गतो देहिनाम् ॥

भर्तृहरि (नीति शतक)

Sanskrit Subhashit with hindi meaning

जल की एक बूंद् जब अत्यन्त तप्त (गरम) लोहे के ऊपर पडती है तो उसका नाम भी नहीं सुनाई देता है (वह भाप बन कर उड जाती है ) । वही बूंद जब एक कमल पुष्प के पत्ते के ऊपर पडती है तो एक सुन्दर और गोल मोती के समान उस पर सुशोभित होती है । और यदि सागर के मध्य में किसी सीप के अन्दर गिर जाती है तो कालान्तरमें वह मोती बन जाती है । इसी प्रकार मनुष्य भी यदि नीच व्यक्तियोंके संपर्क में आते है तो वैसे ही अधम (नीच)और यदि गुणवान (उत्तम)व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं तो वैसे ही गुणवान हो जाते हैं ।

Sanskrut | Sanskrit | Subhashit | Subhashitani | Subhashita | Yoga | Krishna | BhagvatGita | BhagavadGitaQuotes | Shloka | Mantras

subhashitam, subhashita, subhashitani in sanskrit, subhashita in sanskrit, subhashitam meaning in english, subhashitani, subhashitam, subhashita manjari, subhashit in sanskrit, subhashit meaning, subhashit ratnani, subhashit in sanskrit with meaning, सुभाषित का क्या अर्थ है, best sanskrit subhashit, subhashit in english, subhashit in gujarati, subhashit hindi, subhashit hindi mein, subhashit shlok, subhashit suvichar, sanskrit subhashit, subhashit with meaning

%d