संस्कृत सुभाषितानि

वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः तृणं च शय्या न च राजयोगी।
सुवर्णकायो न च हेमधातुः पुंसश्च नाम्ना न च राजपुत्रः॥

यह ऐसा राजा है, जो झाड़ पर रहता है पर पक्षी (पक्षिराज) नहीं। तृण की शय्या है पर तपस्वी (योगिराज) नहीं। सुनहरा का शरीर है लेकिन स्वर्ण धातु नहीं। पुल्लिङ्ग है पर राजकुमार नहीं।

Sanskrit Subhashit with hindi meaning

यह ऐसा राजा है, जो झाड़ पर रहता है पर पक्षी (पक्षिराज) नहीं। तृण की शय्या है पर तपस्वी (योगिराज) नहीं। सुनहरा का शरीर है लेकिन स्वर्ण धातु नहीं। पुल्लिङ्ग है पर राजकुमार नहीं।

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