आकाशमुत्पततु गच्छतु वा दिगन्त-
मम्बोनिधिं विशतु तिष्ठतु वा यथेच्छम् ।
जन्मान्तराऽर्जितशुभाऽशुभकृन्नराणां
छायेव न त्यजति कर्मफलाऽनुबन्धः ॥
Sanskrit Subhashit with hindi meaning
मनुष्य चाहे आकाश में उडे , सुदूर प्रदेशों में विचरण करे, समुद्र मे प्रवेश करे, अथवा जहां उसकी इच्छा हो वहां निवास करे , उस के द्वारा इस जन्म में या पूर्व जन्मों में किये गये शुभ और अशुभ कर्मों के फल एक छाया की तरह उसका साथ नहीं छोडते हैं ।
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