संस्कृत सुभाषितानि

यशो यस्माद्भस्मीभवति वनवन्हेरिव वनं ।
निदानं दुःखानां यदवनिरुहाणामिव जलम् ॥
न यत्रस्याच्छायाSSतप इव तपःसंयमकथा
कथं चित्तान्मिथ्यावचनमभिधत्ते न मतिमान ॥

Sanskrit Subhashit with hindi meaning

सज्जन और विद्वान व्यक्ति किसी भी कारण से कभी भी असत्य वचन नहीं कहते हैं क्यों कि ऐसा करने से उनकी तपस्या और संयम भी नष्ट हो जाते है, जो कि तेज धूप में छाया के समान उनकी रक्षा करते हैं । असत्यवादी व्यक्ति का यश उसी प्रकार भस्म (नष्ट ) हो जाता है जिस प्रकार दावाग्नि (वन में लगी भयंकर आग) से संपूर्ण वन नष्ट हो जाता है । यह विपरीत परिस्थिति ही उसके दुःखों का उसी प्रकार मुख्य कारण होता है जिस प्रकार वन के वृक्ष जल के अभाव के कारण सूखने लगते हैं ।

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