गणेश मंत्र

मायासिद्धिस्तथा देवो मायिको बुद्धिसंज्ञितः ।
तयोर्योगे गणेशान त्वं स्थितोऽसि नमोऽस्तु ते ॥

भ्रान्ति अथवा माया सिद्धि है और उसे धारण करनेवाले गणेशदेव मायिक हैं । बुद्धि संज्ञा भी उन्ही की है । हे गणेश्वर ! आप सिद्धि और बुद्धि दोनों के योग में स्थित हैं । आपको बारम्बार नमस्कार है ।

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मायासिद्धिस्तथा देवो मायिको बुद्धिसंज्ञितः ।
तयोर्योगे गणेशान त्वं स्थितोऽसि नमोऽस्तु ते ॥

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