गणेश मंत्र

नमस्ते योगरूपाय सम्प्रज्ञातशरीरिणे ।
असम्प्रज्ञातमूर्ध्ने ते तयोर्योगमयाय च ॥

हे गणेश्वर ! सम्प्रज्ञात समाधि आपका शरीर तथा असम्प्रज्ञात समाधि आपका मस्तक है । आप दोनों के योगमय होने के कारण योगस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है ।

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नमस्ते योगरूपाय सम्प्रज्ञातशरीरिणे ।
असम्प्रज्ञातमूर्ध्ने ते तयोर्योगमयाय च ॥

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