महत: परित: प्रसर्पतस्तमसो दर्शनभेदिनो भिदे।
दिननाथ इव स्वतेजसा हृदयव्योम्नि मनागुदेहि न:॥
Shiv Mantra with hindi meaning
हे शम्भो हमारे हृदय आकाश में, आप सूर्य की तरह अपने तेज से चारों ओर घिरे हुए, ज्ञानदृष्टि को रोकने वाले, इस अज्ञानान्ध्कार को दूर करने के लिए प्रकट हो जाओ। ; सूर्य जिस प्रकार अपने तेज–प्रकाश से रात्रिा जन्य अन्ध्कार को दूर कर देता है, उसी प्रकार आप भी यदि हमारे हृदय में प्रकट रहेंगे अर्थात् हमारे यान में रहेंगे तो जरूर हमारा भी कुछ न कुछ अज्ञानान्ध्कार दूर हो जायेगा।