वाच्यावाच्यं प्रकुपितो न विजानाति कर्हिचित् ।
नाकार्यमस्ति क्रुद्धस्य नावाच्यं विद्यते क्वचित् ॥
Pramukh shlok with hindi meaning
गुस्से से भरा मनुष्य को किसी भी समय क्या कहना चाहिए और क्या नहीं का ज्ञान नहीं रहता है । ऐसे व्यक्ति के लिए कुछ भी अकार्य नहीं होता है और न ही कहीं अवाच्य रह जाता है ।