संस्कृत श्लोक

क्रुद्धः पापं न कुर्यात् कः क्रृद्धो हन्यात् गुरूनपि ।
क्रुद्धः परुषया वाचा नरः साधूनधिक्षिपेत्॥

Pramukh shlok with hindi meaning

क्रोध से भरा हुआ कौन व्यक्ति पापकर्म नहीं कर बैठता है ? कुद्ध मनुष्य बड़े एवं पूज्य जनों को तक मार डालता है । ऐसा व्यक्ति कटु वचनों से साधुजनों पर भी निराधार आक्षेप लगाता है ।

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