संस्कृत श्लोक

सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् ।
वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव सम्पदः ॥

Pramukh shlok with hindi meaning

किसी कार्य को बिना सोचे-विचारे अनायास नहीं करना चाहिए । विवेकहीनता आपदाओं का परम या आश्रय स्थान होती है । अच्छी प्रकार से गुणों की लोभी संपदाएं विचार करने वाले का स्वयमेव वरण करती हैं, उसके पास चली आती हैं ।

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