न हीदृशं संवननं त्रिषु लोकेषु वर्तते ।
दया मैत्री च भूतेषु दानं च मधुरा च वाक ॥
Pramukh shlok with hindi meaning
अतः सदा ही दूसरों से सान्त्वनाप्रद शब्द बोले, कभी भी कठोर वचन न कहे । पूजनीय व्यक्तियों के सम्मान व्यक्त करे । दूसरों को यथासंभव दे और स्वयं किसी से मांगे नहीं ।