तस्मात्सान्त्वं सदा वाच्यं न वाच्यं परुषं क्वचित् ।
पूज्यान् सम्पूजयेद्दद्यान्न च याचेत् कदाचन ॥
Pramukh shlok with hindi meaning
अतः सदा ही दूसरों से सान्त्वनाप्रद शब्द बोले, कभी भी कठोर वचन न कहे । पूजनीय व्यक्तियों के सम्मान व्यक्त करे । दूसरों को यथासंभव दे और स्वयं किसी से मांगे नहीं ।