संस्कृत श्लोक

न द्वेष्टयकुशर्ल कर्म कुशले नातुषज्जजते।
त्यागी सत्तसमाष्टिी मेघावी छिन्नसंशयः॥

Pramukh shlok with hindi meaning

जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो द्वेष नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता- वह शुद्ध सत्वगुण से युक्त पुरुष संशय रहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है।

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