प्रमुख श्लोक

न जातु कामः कामानामुपभोगेन शाम्यति ।
हविषा कृष्णवर्त्मेव भूय एव अभिवर्तते ॥

Pramukh shlok with hindi meaning

मनुष्य की इच्छा कामनाओं के अनुरूप सुखभोग से नहीं तृप्त होती है । यानी व्यक्ति की इच्छा फिर भी बनी रहती है । असल में वह तो और बढ़ने लगती है, ठीक वैसे ही जैसे आग में इंधन डालने से वह अधिक प्रज्वलित हो उठती है ।

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