प्रमुख श्लोक

उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।
सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥

Pramukh shlok with hindi meaning

उत्साह श्रेष्ठ पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।

Sanskrut | Sanskrit | Subhashit | Subhashitani | Subhashita | Yoga | Krishna | BhagvatGita | BhagavadGitaQuotes | Shloka | Mantras

%d