महाभारत श्लोक

जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्ति: जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः |
केनापि देवेन हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि ||
– महाभारत

Mahabharat Shlok with hindi meaning

मैं धर्म को जानता हूँ, पर उसमें मेरी प्रवृत्ति नहीं होती और अधर्म को भी जानता हूँ, पर उसमें मेरी निवृत्ति नहीं होती | मेरे हृदय में स्थित कोई देव है, जो मुझसे जैसा करवाता है, वैसा ही मैं करता हूँ |

दुर्योधनके हृदय में स्थित जिस देव की बात कहता है, वह वास्तव में ‘कामना’ ही है |

I know what is dharma, yet I cannot get myself to follow it! I know what is adharma, yet I cannot retire from it! O Lord of the senses! You dwelt in my heart and I will do as you impel me to do.

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जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्ति: जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः |
केनापि देवेन हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि ||
– महाभारत

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