चाणक्य नीति

सुभाषितानि – चाणक्य नीति के श्लोक अर्थ सहित

प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति ।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ॥

चाणक्य नीति

Chanakya niti with hindi meaning

मनुष्य को सिंह से एक, बगुले से एक, मुर्गे से चार, कौए से पांच, कुत्ते से छः तथा गधे से भी तीन कार्य छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को शुरू से ही उसमें पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए, यह शिक्षा हम सिंह से ले सकते हैं।

(जिस प्रकार कोई शेर अपने शिकार पर पूरी शक्ति से झपटता है और शिकार को भागने का मौका नहीं देता, इसी गुण के कारण वह कभी असफल नहीं होता है। हमें शेर की तरह ही अपने लक्ष्य की पर झपटना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। कार्य में किसी प्रकार का ढीलापन हुआ तो कामयाबी दूर हो जाएगी। सफलता प्राप्त करने के लिए यही आचार्य चाणक्य का अचूक उपाय है।)

He (a wise man) who is desirous of doing a task, be it a significant or trivial one, looks it over from start (to finish) in the very beginning. (Learn a thing or two) from the lion.

Chayankaya Niti | ChayankayaNiti | Chayankaya | Chanakya Thoughts | Chankya | Chanakyaa | Yoga
प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति ।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ॥

चाणक्य नीति

%d