न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति ॥
–श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagvadgita Shlok with hindi meaning
इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निःसंदेह कुछ भी नहीं है। योग के द्वारा सिद्ध हुआ पुरुष उस ज्ञान को उपयुक्त समय आने पर अपने आप अपने भीतर प्राप्त करता है । (उस ज्ञान को कितने ही काल से कर्मयोग द्वारा शुद्धान्तःकरण हुआ मनुष्य अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है॥)
In this world, there is nothing as purifying as divine knowledge. One who has attained purity of mind through prolonged practice of Yog, receives such knowledge within the heart, in due course of time.